हज़रत ख़्वाजा अब्बू यूसुफ़ जमाल चिशती
रहमतुह अल्लाह अलैहि
हज़रत ख़्वाजा अब्बू यूसुफ़ जमाल चिशती रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत ख़्वाजा अब्बू मुहम्मद चिशती रहमतुह अल्लाह अलैहि के भांजे, मुरीद और ख़लीफ़ा थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की वालिदा माजिदा ख़्वाजा अब्बू मुहम्मद रहमतुह अल्लाह अलैहि की हमशीरा मुकर्रमा भी विलय कामिल थीं हमेशा इबादत-ओ-रियाज़त में रहतीं।
बैरूनी हमला आवरों की वजह से ये मज़ारात अब खन्डरात में तबदील हो चुके हैं
चालीस बरस की उम्र तक आप की वालिदा मुकर्रमा शादी के लिए तैय्यार ना थीं। लेकिन एक दिन वालिद माजिद ख़्वाजा अब्बू अहमद रहमतुह अल्लाह अलैहि को ख़ाब में देखा कि फ़रमाते हैं इस शहर में एक सय्यद ज़ादा मुहम्मद समान रहमतुह अल्लाह अलैहि है तुम्हारे मुक़द्दर में लिखा है कि वो तुम्हारा शौहर बनेगा और एक लड़का पैदा होगा जिस के नूर वलाएत से हमारा ख़ानदान रोशन होगा। दूसरी तरफ़ ऐसा ही ख़ाब ख़्वाजा अब्बू मुहम्मद रहमतुह अल्लाह अलैहि ने भी देखा।
चुनांचे सुबह शहर भर में इस सय्यद ज़ादे की तलाश कराई गई। जब इस सय्यद ज़ादे को लाया गया तो बीबी का निकाह सय्यद ज़ादे से पढ़ा दिया गया। बीबी भी चूँकि वाक़िफ़ हाल थीं मोतरिज़ ना हुईं। इस बीबी के बतन से ख़्वाजा अब्बू यूसुफ़ रहमतुह अल्लाह अलैहि पैदा हुए।
हज़रत ख़्वाजा अब्बू यूसुफ़ जमाल चिशती रहमतुह अल्लाह अलैहि नसब पाक यूं है।
हज़रत ख़्वाजा अब्बू यूसुफ़ जमाल चिशती रहमतुह अल्लाह अलैहि बिन
सय्यद मुहम्मद समान रहमतुह अल्लाह अलैहि बिन
सय्यद इबराहीम रहमतुह अल्लाह अलैहि बिन
सय्यद मुहम्मद रहमतुह अल्लाह अलैहि बिन
सय्यद हुसैन बिन
सय्यद अबद अल्लाह रहमतुह अल्लाह अलैहि अली अकबर बिन
सय्यद इमाम हुस्न रहमतुह अल्लाह अलैहि असग़र बिन
सय्यद इमाम नक़ी रज़ी अल्लाह तआला अन्ना बिन
सय्यद इमाम अली तक़ी रज़ी अल्लाह तआला अन्ना बिन
सय्यद इमाम अली अलरज़ा रज़ी अल्लाह तआला अन्ना बिन
सय्यद इमाम मूसा काज़िम रज़ी अल्लाह तआला अन्ना बिन
सय्यद इमाम जाफ़र सादिक़ रज़ी अल्लाह तआला अन्ना बिन
सय्यद इमाम मुहम्मद बाक़िर रज़ी अल्लाह तआला अन्ना बिन
सय्यद इमाम ज़ीन इला बदीन रज़ी अल्लाह तआला अन्ना बिन
सय्यद इमाम हुसैन रज़ी अल्लाह तआला अन्ना ।
एक दिन गरमीयों के मौसम में हज़रत ख़्वाजा अब्बू यूसुफ़ जमाल चिशती रहमतुह अल्लाह अलैहि अपने दोस्तों के साथ घर से निकले और एक ऐसे जंगल में पहुंचे जहां दूर दूर तक पानी का नाम-ओ-निशान ना था। तमाम दोस्तों को प्यास ने तंग किया ।उन्हों ने आप से इल्तिजा की । हज़रत ख़्वाजा अब्बू यूसुफ़ जमाल चिशती रहमतुह अल्लाह अलैहि ने अपना एसा-ए-एक पत्थर पर मारा जिस से पानी का चशमा जारी हो गया । आप ने सब से पहले ख़ुद पानी पिया ।फिर तमाम लोग सेराब हुए।ये चशमा अब तक जारी है।उस की ख़ासीयत ये है कि सर्दीयों में इस का पानी गर्म होता है और गरमीयों में इस का पानी यख़ ठंडा होता है। अगर कोई बुख़ार में मुबतला शख़्स वो पानी पी ले तो वो उसी वक़्त सेहत याब हो जाता है।
हज़रत ख़्वाजा अब्बू यूसुफ़ जमाल चिशती रहमतुह अल्लाह अलैहि अपने मामूं ख़्वाजा अब्बू मुहम्मद रहमतुह अल्लाह अलैहि चिशती के ज़ेर-ए-तरबीयत रहे। आप की उम्र छत्तीस साल की थी जब आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के मामूं इस दुनिया से रुख़स्त हुए और आप रहमतुह अल्लाह अलैहि उन की जगह मस्नद अफ़रोज़ हुए। पच्चास साल की उम्र में हज़रत ख़्वाजा अब्बू यूसुफ़ जमाल चिशती रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत ख़्वाजा अब्बू असहक़ शामी रहमतुह अल्लाह अलैहि के एक ख़लीफ़ा ख़्वाजा हाजी रहमतुह अल्लाह अलैहि के मज़ार के क़रीब एक तहा ख़ाना बनवा कर इस में मोतकिफ़ हो गए आप तक़रीबन बारह साल तक यहां मोतकिफ़ रहे।
आप ३रजब एल्मर जब ४५९ हिज्री को इसदार फ़ानी से रुख़स्त हुए।